महाकाली साधना
कलयुग में मां काली की साधनाएं अत्यधिक होती है किंतु भक्ति पूर्वक इनकी साधना बहुत कम होती है क्योंकि लोगों ने इन्हें केवल अपने मतलब के लिए साधना शुरू कर दिया है इनका रूप देख कर के अपना स्वार्थ साधने हेतु उनकी साधनाएं करते हैं कुछ तांत्रिक अपने स्वार्थ के लिए ना जाने लोगों से क्या क्या करवा देते हैं और मां का रूप दिखाकर के व्यर्थ की चीजों को मां का भोग बता कर आमजन को भटका रहे हैं जिससे वे केवल और केवल पाप के भागी बनते हैं मां की कृपा के नहीं महाकाली की साधना में प्रयोग किए जाने वाली मांस मदिरा उन्हें कदापि स्वीकार नहीं है किंतु आज भी लोग यह समझते हैं की मां को यह तामसिक भोग पसंद है परंतु यह केवल उनका भ्रम मात्र है ।
आज मैं आपको मां की शुद्ध सात्विक साधना देने जा रहा हूं जिससे हर पल वह आपके अंग संग रहेंगे किंतु यह साधना पूर्ण समर्पण व भक्ति भाव के साथ होनी चाहिए |
उनकी साधना करने से पहले कुछ बातें मां काली के रूप के बारे में जान दीजिए ताकि आपको भ्रम से निकलने में सहायता मिले....
Q. मां का रूप काला क्यों है?
-> मां शक्ति स्वरूपा है यहीं से प्रारंभ हुआ था और यहीं पर समापन होगा वह काल रुपी है महाकाली हैं जिसने प्रारंभ किया था और जो अंत भी स्वयं ही करती है तथा उसके बाद पुनः प्रारंभ करती है और यह चक्र चलता रहता है इसी का बोध कराने हेतु उनका रंग काला है क्योंकि इसमें सभी रंग समा जाते हैं और इसी का रुप ले लेते हैं ।
Q. मां का मुख सदैव खुला और जिह्वा बाहर निकली क्यों होती है ?
-> मां का मुख ब्रह्मांड को दर्शाता है जिसमें हम सभी रह रहे हैं उनकी जिह्वा रजोगुण व तमोगुण को दर्शाती है तथा उनके दंत सतोगुण का प्रतीक है और अपने इस रूप से मां यह दर्शाना चाहती है कि अपने सतोगुण के माध्यम से अपने रजोगुण तमोगुण को निरंतर बाहर निकालने की कोशिश करते रहना चाहिए यही कारण है यह मां का रूप ऐसा होता है जिसमें वह अपनी जिह्वा को बाहर निकालकर दांतो से दवाई रखती है ।
Q. क्या मां को मांस मदिरा चढ़ाया जाना उचित है ?
-> मां काली के चालीसे में लिखा रहता है...
केला और फल फूल चढ़ावे मांस खून कछु नाहीं छुआवे,
सबकी तुम समान महतारी काहे कोई बकरा को मारी ।
इस पंक्ति से आपको यह तो पता चल गया होगा कि इसमें कहा गया है की मां सबकी मां है तो वह अपने बच्चे से अपने दूसरे बच्चे की बलि कैसे मांग सकती है और रही बात मद्यपान की तो वह मद्यपान ऊर्जा होती है और वह ऊर्जा आपकी भक्ति से उत्पन्न होती है जिसका पान करने से मां आप पर खुश होती है अर्थात यदि आप पूर्ण भक्ति भाव से मां की पूजा आराधना करते हैं तो वह आप पर निरंतर प्रसन्न रहेंगे।
कलयुग में मां काली की साधनाएं अत्यधिक होती है किंतु भक्ति पूर्वक इनकी साधना बहुत कम होती है क्योंकि लोगों ने इन्हें केवल अपने मतलब के लिए साधना शुरू कर दिया है इनका रूप देख कर के अपना स्वार्थ साधने हेतु उनकी साधनाएं करते हैं कुछ तांत्रिक अपने स्वार्थ के लिए ना जाने लोगों से क्या क्या करवा देते हैं और मां का रूप दिखाकर के व्यर्थ की चीजों को मां का भोग बता कर आमजन को भटका रहे हैं जिससे वे केवल और केवल पाप के भागी बनते हैं मां की कृपा के नहीं महाकाली की साधना में प्रयोग किए जाने वाली मांस मदिरा उन्हें कदापि स्वीकार नहीं है किंतु आज भी लोग यह समझते हैं की मां को यह तामसिक भोग पसंद है परंतु यह केवल उनका भ्रम मात्र है ।
आज मैं आपको मां की शुद्ध सात्विक साधना देने जा रहा हूं जिससे हर पल वह आपके अंग संग रहेंगे किंतु यह साधना पूर्ण समर्पण व भक्ति भाव के साथ होनी चाहिए |
उनकी साधना करने से पहले कुछ बातें मां काली के रूप के बारे में जान दीजिए ताकि आपको भ्रम से निकलने में सहायता मिले....
-> मां शक्ति स्वरूपा है यहीं से प्रारंभ हुआ था और यहीं पर समापन होगा वह काल रुपी है महाकाली हैं जिसने प्रारंभ किया था और जो अंत भी स्वयं ही करती है तथा उसके बाद पुनः प्रारंभ करती है और यह चक्र चलता रहता है इसी का बोध कराने हेतु उनका रंग काला है क्योंकि इसमें सभी रंग समा जाते हैं और इसी का रुप ले लेते हैं ।
Q. मां का मुख सदैव खुला और जिह्वा बाहर निकली क्यों होती है ?
-> मां का मुख ब्रह्मांड को दर्शाता है जिसमें हम सभी रह रहे हैं उनकी जिह्वा रजोगुण व तमोगुण को दर्शाती है तथा उनके दंत सतोगुण का प्रतीक है और अपने इस रूप से मां यह दर्शाना चाहती है कि अपने सतोगुण के माध्यम से अपने रजोगुण तमोगुण को निरंतर बाहर निकालने की कोशिश करते रहना चाहिए यही कारण है यह मां का रूप ऐसा होता है जिसमें वह अपनी जिह्वा को बाहर निकालकर दांतो से दवाई रखती है ।
Q. क्या मां को मांस मदिरा चढ़ाया जाना उचित है ?
-> मां काली के चालीसे में लिखा रहता है...
केला और फल फूल चढ़ावे मांस खून कछु नाहीं छुआवे,
सबकी तुम समान महतारी काहे कोई बकरा को मारी ।
इस पंक्ति से आपको यह तो पता चल गया होगा कि इसमें कहा गया है की मां सबकी मां है तो वह अपने बच्चे से अपने दूसरे बच्चे की बलि कैसे मांग सकती है और रही बात मद्यपान की तो वह मद्यपान ऊर्जा होती है और वह ऊर्जा आपकी भक्ति से उत्पन्न होती है जिसका पान करने से मां आप पर खुश होती है अर्थात यदि आप पूर्ण भक्ति भाव से मां की पूजा आराधना करते हैं तो वह आप पर निरंतर प्रसन्न रहेंगे।