Monday, April 29, 2019

भैरव साधना व भैरव के तथ्य

                          भैरव साधना


भैरव का नाम साधना क्षेत्र में आने वाला जरूर सुनता है, लेकिन वास्तविकता में भैरव है कौन क्या कभी आपने यह जानने की कोशिश की?

यह भगवान शिव के अंश से उत्पन्न अति रौद्र ऊर्जा है जिन्हें शक्ति की तथा शक्ति के उपासक की तथा धर्म  की रक्षा हेतु निर्मित किया जाता है स्वयं भगवान शिव के द्वारा यदि आप भैरव के अर्थ निकालने बैठे तो इस शब्द के अनेक अर्थ हैं ,

भैरव का अर्थ भयानक, रक्षक, शिवगण, घोर विनाश करने वाला आदि होता हैं |

जो व्यक्ति भगवान भैरव की साधना करें उसके ऊपर तांत्रिक क्रियाएं कार्य नहीं करती है किंतु यदि इनका साधक इन्हें किसी कसम में बांधकर के या किसी भी प्रकार के बंधन में लेकर के अपने साथ में रखता है तो वह समय आने पर खुद ही चोट खाता है|


तांत्रिक क्षेत्र में भैरव पूजा विशेष विधि विधान से की जाती है क्योंकि यह देव अत्यंत शीघ्र प्रसन्न होने वाले हैं तथा अत्यंत तीव्र प्रभाव से व्यक्ति की मनोकामना को पूर्ण करने वाले हैं किंतु साधक को हमेशा यह ध्यान रखना चाहिए की जब अत्यधिक मात्रा में भैरव बीज का जाप किया जाता है तो भगवान भैरव का अंश उस साधक में उत्पन्न होने लगता है जिसके कारण वह अपने शरीर में अत्यंत तीव्र ऊर्जा को महसूस करता है|

यदि साधक एकाग्र चित्त होकर पूर्ण समर्पित भाव से भगवान की पूजा करता रहे तो स्वत: ही उसके सारे कार्य पूर्ण होते हैं
 तथा उसके पास आने वाले सभी दीन दुखियों की सहायता भी हो जाती हैं किंतु यदि कोई मनुष्य या साधक भगवान भैरव से प्राप्त ऊर्जा का गलत प्रयोग करने लगता है गलत तरह के तांत्रिक प्रयोग करता है अर्थात मारण मोहन वशीकरण आदि तो वह स्वयं के विनाश की ओर अग्रसर हो जाता है |


भगवान भैरव को प्रसन्न करना सरल है किंतु उन्हें अपने साथ रख कर स्वयं को नियंत्रित रखने में कई बार साधक विफल हो जाता है तथा धन के लालच में आकर गलत कार्य करने लगता है यदि वह इससे बचा रहे और सदैव सत्य मार्ग पर चले तो कोई उसका कुछ नहीं बिगाड़ सकता |



                            भैरव साधना


भगवान भैरव की साधना करने हेतु सबसे अच्छा है कि आप इनके बीज मंत्र का जाप करें भगवान भैरव के कई सारे बीज मंत्र हैं जो निम्नलिखित हैं
 बं
 भं
 भ्रं


ऊपर लिखे बीज मंत्रों में से किसी भी बीज मंत्र द्वारा भगवान भैरव की पूजा की जा सकती है सभी बीज मंत्रों का अनुष्ठान सवा लाख से शुरू होता है तथा उच्चतम पुश्चरण 500000 तक का होता है इनकी साधना विधि निम्न प्रकार से है|



  1. माला- रुद्राक्ष अथवा काले हकीक की माला।
  2. आसन- काला।
  3. साधक के वस्त्र- काले।
  4. दिशा - उत्तर अथवा दक्षिण।
  5. भोग- मावे की मिठाई, शरबत, केसर खीर, पतासे, नारियल आदि।
  6. दीपक - मिट्टी का दीपक होना चाहिए और सरसों का तेल।
  7. चौंकी- जिस दिशा में मुंह करके पूजा करनी है उस दिशा में बाबा भैरव की चौकी लगानी है चौकी के लिए एक बाजोट पर काला कपड़ा बिछाए उस पर काजल से स्वास्तिक बनाएं तथा उसके ऊपर भगवान भैरव की मूर्ति अथवा तस्वीर स्थापित करें उन्हें काला कपड़ा औढा़ए तत्पश्चात उनके सामने धूप दीप प्रज्वलित करें वह अपनी साधना शुरू करें।
  8. साधना समय- साधना का समय रात्रि 8:00 बजे से शुरू होता है यह साधना कृष्ण पक्ष से शुरू की जाती है तथा पूर्ण ब्रह्मचर्य के साथ 11 दिन तक यह साधना की जाती है यदि आप 500000 का जाप कर रहे हैं तो यह साधना 21 या 41 दिन तक की होती है।
  9. समर्पण- आप जो भी जाप करें प्रतिदिन जाप करने के पश्चात भगवान भैरव को अपने आप समर्पित कर दें।
  10. समर्पण का तरीका- अपने दाएं हाथ में जल लेकर के बाबा से कहें मैंने आज जो भी जाप चाहिए वै सभी मैं आपको समर्पित करता हूं तत्पश्चात अपने दाएं हाथ का जल बाबा के बाएं हाथ में समर्पित करें।


☆   यदि इस  विवरण  में  मुझसे कोई भूल हो गई हो  तो कृपा करके  आप  मुझे क्षमा करें  और मैं आशा करता हूं यह साधना आपके जीवन को सही दिशा दिखाने में उपयोगी होगी.... मां भगवती आपका कल्याण करें |


             卐जय माता जी की हर हर महादेव  卐



1 comment:

  1. Aap ki jaankari badi labhkari har har mahadev Jai shiv Shakti ki Jai ho

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